[link=http://www.myscraps.co.in] [/link]

[b]More scraps? http://www.myscraps.co.in[/b]

-: संपादक मंडल :-





प्रमुख संपादक : संजीव वर्मा 'सलिल'
संपादक : संजय वर्मा, अशोक नौगरैया, सुरेन्द्र पवार


Tuesday 29 December, 2009

गीत: अम्ब! विमल मति दे -संजीव 'सलिल'

गीत


संजीव 'सलिल'

अम्ब! विमल मति दे

*

हे हंस वाहिनी! ज्ञानदायिनी!!

अम्ब विमल मति दे.....

*

नन्दन कानन हो यह धरती।

पाप-ताप जीवन का हरती।

हरियाली विकसे.....

*

बहे नीर अमृत सा पावन।

मलयज शीतल शुद्ध सुहावन।

अरुण निरख विहसे.....

*

कंकर से शंकर गढ़ पायें।

हिमगिरि के ऊपर चढ़ जाएँ।

वह बल-विक्रम दे.....

*

हरा-भरा हो सावन-फागुन।

रम्य ललित त्रैलोक्य लुभावन।

सुख-समृद्धि सरसे.....

*

नेह-प्रेम से राष्ट्र सँवारें।

स्नेह समन्वय मन्त्र उचारें।

' सलिल' विमल प्रवहे.....


************************

2 comments:

  1. इस नए ब्‍लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. अच्‍छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

    ReplyDelete
  2. संगीता है सृष्टि यह, गुंजित अनहद नाद.
    मनुज बेसुरा हो रहा, कर प्रकृति बर्बाद..

    ReplyDelete