अभियंता दिवस
अभियंता जागो
१. हर नगर तथ अभियांत्रिकी महाविद्यालय/पॉलिटेक्निक में भारतरत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की मूर्ति स्थापित हो।
२. अभियंता कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाए।
३. हर अभियांत्रिकी महाविद्यालय/पॉलिटेक्निक में सर्वोच्च अंक अर्जित करने वाले छात्र को एम् वी पदक प्रदान किया जाए।
४. निर्माण कार्यों में ठेकेदारी के लिए अभियांत्रिकी में डिग्री/डिप्लोमा अनिवार्य हो ताकि कार्यों की गुणवत्ता में सुधार हो।
५. डिग्री/डिप्लोमा अभियंताओं को व्यवसाय आरंभ करने के लिए ब्याजमुक्त कर्ज उपलब्ध कराया जाए तथा निविदा कार्यों में वरीयता दी जाए।
६. साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत अभियंताओं को तकनीकी विभागों की परामर्शदात्री समितियों, जांच समितियों आदि में वरीयता दी जाए ताकि वे तकनीकी और सामाजिक दोनों दृष्टिकोणों से मददगार हो सकें।
७. राष्ट्रीय सम्मान तथा उपाधि वितरण में अभियंता संवर्ग की उपेक्षा बंद कर अवदान का सम्यक मूल्याङ्कन कर वरीयता दी जाए।
संजीव वर्मा
सभापति इंजीनियर्स फोरम (भारत)
९४२५१८३२४४
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देश को किताबी नहीं व्यावहारिक अभियंता चाहिए - इंजी. संजीव वर्मा 'सलिल'
जबलपुर, १५ अगस्त २०२१। भारत रत्न सर मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैया जी के १६२ जन्म दिवस पर स्थानीय तक्षशिला इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एन्ड टेक्नोलॉजी में अपराह्न २ बजे से ''संरचना २०२२'' का आयोजन इंजी. संजीव वर्मा 'सलिल', अध्यक्ष इंडियन जिओटेक्नीकल सोसायटी जबलपुर चैप्टर के मुख्यातिथ्य, इंजी. प्रवीण ब्योहार अध्यक्ष इंस्टीटूशन ऑफ़ वैल्यूएर्स, इंजी. मनीष दुबे अध्यक्ष प्रक्टिसिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन, इंजी. कोमलचंद जैन अध्यक्ष भारत-अफ्रीका मैत्री संघ के विशेषातिथ्य तथा श्री सुभाष मसुरहा निदेशक तक्षशिला इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एन्ड टेक्नोलॉजी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस अवसर पर संस्था के प्राचार्य इंजी. बी. के. साहू, सचिव श्री प्रमोद तिवारी, प्रो. इंद्र कुमार खन्ना, प्रो. शोभित वर्मा तथा अन्य प्राध्यापक गण सहभागी थे।
सरस्वती प्रतिमा तथा विश्वेश्वरैया जी के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात् अतिथियों का स्वागत तुलसी जी के पौधे तथा स्मृति चिह्न भेंट कर किया गया। इसके पूर्व अतिथियों ने विद्यार्थियों द्वारा निर्मित अभियांत्रिकी संरचनाओं के प्रादर्शों (मॉडल), चित्रों तथा कोलाजों का अवलोकन किया तथा उपयोगी सुझाव दिए। सरस्सं चालन करते हुए प्रो. संजय वर्मा ने अतिथियों का परिचय विद्यार्थियों से कराया। इंजी. मनीष दुबे ने जबलपुर के भूगर्भीय परिवेश की चर्चा करते हुए सिविल इंजीनियरों के लिए इसे वरदान बताया कि जबलपुर में हर परियोजना पर कार्य करते समय नए अनुभव होते हैं। इंजी. प्रवीण ब्योहार ने संरचनाओं के मूल्यांकन करने के संबंध में उपयोगी जानकारी दी। इंजी. कोमल चंद जैन ने दक्षिण अफ्रीका में अपने सुदीर्घ कार्यकाल के अनुभव साझा करते हुए छात्रों को अध्ययन के प्रति गंभीर होने की सलाह दी।
मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए अभियंता संजीव वर्मा 'सलिल' ने समाज तथा शासन-प्रशासन द्वारा अभियंताओं तथा अभियांत्रिकी को पर्याप्त महत्व न दिए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए अभियान्त्रिकी शिक्षा के किताबी रूप को अलप उपयोगी बताते हुए विद्यार्थियों को कार्यस्थलियों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। संक्षिप्त प्रश्नोत्तरों की पुस्तकों के स्थान पर पाठ्यक्रम की मानक स्तरीय पुस्तकें पढ़ने की सलाह देते हुए वक्ता ने विश्वेश्वरैया जी के जीवन के प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अभियान और सामान्य व्यक्ति में अंतर सजगता, तत्परता और व्यावहारिकता का होता है।
अध्यक्ष श्री सुभाष मसुरहा ने अभियांत्रिकी शिक्षा की उपादेयता प्रतिपादित करते हुए, पाठ्यक्रमों को समकालिक आवश्यकताओं के अनुरूप अद्यतन किए जाने पर बल दिया। श्रेष्ठ प्रादर्श, चित्र तथा कोलाज प्रस्तुत करनेवाले छात्रों को अतिथियों द्वारा प्रमाण पत्र दिए गए।
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